काल सर्प दोष (kaal sarp dosh) एक हिंदी कहानी:
दोस्तों ये केवल ek kahani (एक कहानी) नही है, बल्कि धर्म के प्रति जागरूकता की मिशाल है, ये एक ऐसी हिंदी कहानी है जिसमें आपकी सनातन धर्म के एक रहस्यमयी श्राप के बारे में धरना साफ होगा | हिन्दू सनातन शास्त्रों में काल सर्प दोष को, एक अभिशाप की तरह माना जाता है | काल सर्प दोष हिन्दू सनातन शास्त्र के मुताबिक, व्यक्ति की कुंडली में, ग्रह-नक्षत्रों के योग से, प्रायः कुछ ना कुछ, शुभ और अशुभ योगों का प्रारंभ होता रहता है | कुंडली में स्थित शुभ योग से, जहां व्यक्ति को अच्छा फल प्राप्त होता है, वहीं अशुभ योग और दोष से, जीवन में कुछ समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है | काल सर्प दोष को शापित माना गया है | दरअसल हिन्दू सनातन शास्त्र के जानकारों का कहना है कि, काल सर्प दोष के अशुभ प्रभाव से शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है लेकिन, फिर भी कुछ लोग, अपने तुच्छ ज्ञान की वजह से, शास्त्रों में लिखी चेतावनियों को भी, नज़रअंदाज़ करके अपने जीवन का सर्वनाश कर बैठते हैं | ऐसी ही कहानी इंजीनियर लड़के विजय की है | विजय आधुनिक शिक्षा ग्रहण कर चुका था और अब उसे तलाश थी, एक अच्छी नौकरी की | विजय पढ़ाई में बहुत होनहार छात्र था, इसलिए उसे अपने ऊपर पूरा भरोसा था, कि उसे एक अच्छी नौकरी ज़रूर मिल जाएगी | अब परीक्षा ख़त्म होते ही, विजय अपने पहले साक्षात्कार के लिए ख़ूब तैयारियां करता है | विजय अच्छी तरह जानता है, कि अगर उसने यह नौकरी प्राप्त कर ली, तो वह सफलता की पहली सीढ़ी चढ़ जाएगा | विजय साक्षात्कार के लिए, अपना बायोडाटा लेकर निकल जाता है | रास्ते में अचानक, उसे एक तेजस्वी बाबा मिलते हैं, वह उसे रोक लेते हैं और अपने पास बुलाते हैं और उसके मस्तिष्क को देखकर कहते हैं, “तेरा काल सर्प दोष ( Kaal Sarp Dosh ) प्रारंभ हो चुका है, सावधान रहना बेटे” और चले जाते हैं |
विजय को अपने साक्षात्कार के लिए, देरी हो रही थी, इसलिए वह जल्दी जाना चाहता था और वैसे भी विजय को, इस तरह की बातों पर कोई भरोसा नहीं | विजय कंपनी के रिसेप्शन में पहुँचकर, साक्षात्कार की प्रक्रिया पता करता है | रिसेप्शन में बैठी महिला कर्मचारी, विजय को एक काग़ज़ देती है और उसमें, उसकी निजी जानकारियां भरने को कहती है | विजय काग़ज़ लेकर, उसमें जानकारियां भरने लग जाता है | विजय के साथ साथ और भी प्रतिभागी साक्षात्कार में, हिस्सा लेने आए हुए थे | कुछ ही समय में सभी अपनी अपनी जानकारियां भर के काग़ज़ रिसेप्शन में जमा कर देते हैं | घंटी बजते ही, साक्षात्कार का दौर प्रारंभ हो जाता है | एक एक करके सभी प्रतिभागियों को साक्षात्कार अधिकारी, अपने चेंबर में बुलाते हैं और सभी से कंपनी के कार्य से संबंधित प्रश्न पूछने लगते हैं और कुछ घंटे साक्षात्कार चलते ही, अधिकारियों को मानसिक थकान होने लगती है | फिर भी वह साक्षात्कार जारी रखते हैं और इसी बीच बारी आती है, विजय की | अधिकारी, कई घंटों से एक ही तरह के सवाल पूछ पूछकर थक चुके थे इसलिए, विजय के आते ही, वह अपने सवाल बदल देते हैं और विजय से उसके निजी जीवन से संबंधित, कुछ तीखे सवाल करते हैं | विजय के माता पिता का तलाक़ हो चुका था | यह बात विजय किसी को बताना पसंद नहीं करता था, लेकिन साक्षात्कार अधिकारियों के सामने मजबूरी में उसे, यह बात बतानी पड़ती है और इसी बात पर जब अधिकारी, विजय को अपमानित करते हैं तो, उसे ग़ुस्सा आ जाता है और वह अधिकारियों के मुँह में, अपना काग़ज़ फेंककर, साक्षात्कार चेंबर से बाहर निकल आता है | विजय ने साक्षात्कार की बहुत तैयारियां की थी, लेकिन अधिकारियों के ऐसे रवैये से उसका मनोबल टूट जाता है और वह सोच लेता है, कि अब वह किसी भी साक्षात्कार में नहीं जाएगा | विजय अपने गाँव लौट जाता है | उसके पिता ने उसकी माँ का साथ पहले ही छोड़ दिया था, लेकिन उसकी माँ गाँव में अकेले रह रही थी | विजय गांव पहुचता है और कुछ ही पल में उसकी मां समझ जाती है कि उनका बेटा दुखी है | वह अपनी माँ से, बिना कुछ कहे घर के अंदर चला जाता है | कुछ दिनों बाद, विजय का मानसिक तनाव बढ़ने लगता है | विजय को अकेला रहने की आदत पड़ जाती है | देखते देखते, एक साल गुज़र जाता है विजय अपने कॉलेज के सभी दोस्तों से, बात करना बंद कर चुका था |
विजय की हालात, बदतर होते देख, उसकी माँ को चिंता होने लगती है | वह उसे, मनोवैज्ञानिक ज्योतिष आचार्य के पास ले जाती है | हालाँकि विजय, वहाँ नहीं जाना चाहता लेकिन, अपनी माँ के ज़बरदस्ती दबाव देने पर, उसे वहाँ जाना ही पड़ता है | ज्योतिषाचार्य विजय की कुंडली देखते ही, अपनी आंखें बड़ी कर लेते हैं और कहते हैं, “बेटा तुम्हारी कुंडली में तो, अद्भुत काल सर्प दोष ( Kaal Sarp Dosh ) है | अपने माँ की भक्ति की वजह से तुम, अब तक ज़िंदा हो, क्योंकि तुम्हारे जीवन में, काल की दस्तक हो चुकी है और वह तुम्हारा भविष्य खाने के लिए तैयार है” | विजय को, इन सब बातों में कोई रुचि नहीं होती | वह अपनी माँ से कहता है, “माँ ये मुझे कहाँ ले आयी हो | मुझे इस ढोंगी की बकवास बातें नहीं सुनना” और वह वहाँ से उठकर चला जाता है | विजय के ऊपर काल सर्प दोष ( Kaal Sarp Dosh ) का, काला साया मंडरा रहा था, जिससे उसके जीवन में संकटों का पहाड़ टूटने वाला था, लेकिन वह अपनी ज़िद में अपना जीवन बर्बाद करने पर तुला हुआ था | विजय के जाने के बाद, उसकी माँ ज्योतिषाचार्य से विजय का काल सर्प दोष ( Kaal Sarp Dosh ) समाप्त करने का उपाय पूछती है | ज्योतिषाचार्य शास्त्रों के पारंगत पुरोहित होते हैं, इसलिए वह विजय का काल सर्प दोष ( Kaal Sarp Dosh ) उतारने की पूजा विधि प्रारंभ कर देते हैं |
कुछ दिनों के अंदर, विजय की स्थितियों में बदलाव होने लगता है | उसे उसके मन का, एक व्यापार बहुत कम निवेश में सूझता है | वह अपना काम, जमा लेता है और धीरे धीरे, उसका दिमाग़ स्थिर होने लगता है | विजय के काल सर्प दोष ( Kaal Sarp Dosh ) हट चुका था और विजय सफलता की ऊंचाईयों में, बढ़ने लगता है | वह आज भी शास्त्रों पर विश्वास नहीं करता था, लेकिन भगवान ने उसे अभयदान दे दिया था | विजय की नास्तिकता के साथ ही यह कहानी समाप्त हो जाती है |